प्रिय पाठको नमस्कार आपको एक बार फिर से इस नए आर्टिकल में स्वागत है। जैसा कि आपको पता ही होगा पिछले लेख में आपने पढ़ा था, बिहार के नालंदा जिले के राजगीर शहर के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल एवं घूमने का स्थान के बारे में बताए थे,आज के लेख में आपको नालंदा जिले के प्रमुख दर्शनीय स्थल और घूमने के स्थान के बारे में बताएंगे। तो इस लेख को पूरा अंत तक पढ़िए, तभी आपको नालंदा घूमने की हर जगह के बारे में आपको जानकारी मिलेगी।
नालंदा जिले का इतिहास एवं परिचय – Nalanda District Basic Information in Hindi
दोस्तों अगर मैं नालंदा जिले की बात करूं तो, यह भारत के मगध हुआ करती थी, जो कि एक प्राचीन साम्राज्य का बहुत बड़ा मठ हुआ करता था। नालंदा शिक्षा का एक प्राचीन और धार्मिक केंद्र था जो कई गुना ज्ञान प्रदान करता था। यह पटना से लगभग 95 किलोमीटर दूरी दक्षिण पूरब में बिहारशरीफ शहर के पास में स्थित है। अगर विश्व स्तर की बात की जाती है तो यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थलों में से एक है,
भारत में सबसे पहले विश्वविद्यालय की शुरुआत नालंदा के नालंदा यूनिवर्सिटी से ही हुई थी, जोकि 5वी और 6वी शताब्दी में गुप्त साम्राज्य के संरक्षण में हुआ था। उसके बाद कन्नौज के सम्राट हर्ष के अधीन यह यूनिवर्सिटी देखभाल किया गया। उसके बाद गुप्त काल में विरासत के रूप में संस्कृति परंपराओं के परिणाम स्वरूप 9 वीं शताब्दी तक जिले की विकास और समृद्धि का दौर चलता रहा।
उसके बाद धीरे-धीरे पाल साम्राज्य के आते आते इसकी धीरे धीरे गिरावट होने लगी और पूर्वी भारत में बौद्ध धर्म का तांत्रिक विकास होने लगे।नालंदा शुरू से ही एक प्रमुख व्यापार का मार्ग था। जो नालंदा के राजगीर शहर से होकर गुजरती थी। कहा जाता है की यही पर नालंदा में ही 14 वर्ष तक महावीर रुके हुए थे, और यही पर गौतम बुध उपदेश दिए थे।
नालंदा के पर्यटक स्थल – Tourist Place In Nalanda in Hindi
तो दोस्तों चलिए नालंदा में घूमने वाली ऐसी कौन सी जगह है जहां पर आप घूम सकते हैं नालंदा जिले में जितने भी पर्यटक की दृष्टि से स्थल है वह सब को बताते हैं
1. राजगीर – Rajgir
राजगीर नालंदा जिला का एक बहुत ही महत्वपूर्ण एवं रोमांच जगह है। अगर नालंदा कोई आता है तो सबसे पहले राजगीर ही विजिट करता है । उसके बाद नालंदा जाता है राजगीर में लगभग 20 से 25 ऐसे टूरिस्ट प्लेस है, जहां पर आप घूम सकते हैं, अगर आप इसके बारे में जानकारी लेना चाहते हैं, तो इस पर में एक पोस्ट लिखा हूं, इसमें राजगीर के जितने भी दर्शनीय स्थल हैं वह सबको पूरी अच्छी तरह से बताएं है, पोस्ट में मैंने सोनभंडार, जरासंध का अखाड़ा, पांडू पोखर, गृद्धकोटा की चोटी, ब्रह्मा कुंड, वीर्यतान संग्रहालय, अशोक का स्तूप, घोड़ा कटोरा झील, बिंबिसार का जेल, वेणु वन, मनियार मठ, शंख लिपि शिलालेख, सप्तपर्णी गुफा, अजातशत्रु का किला, जीवाका मैंगो गार्डन अमरवाना, श्री गुरु नानक शीतल कुंड, चक्रवर्ती दीवार, करंडा तालाब, जरासंध का बैठक, रथ के पहिए के निशान, पीपल गुहा, जापानी मंदिर, मखदूम कुंड, और शीशा का पुल इत्यादि जैसे जगह के बारे में बताएं है।
2. प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय खंडहर –Ancient Nalanda University Runis.
प्राचीन नालंदा के खंडहर की बात किया जाए, तो यह पुराने युग की बात हो जाएगी नालंदा के बारे में जानना है तो तीन प्रकार से आपको जानकारी मिलेगी। एक तो पुरातत्व के विभाग जो शिलालेखों पर अध्ययन किए थे, दूसरी बौद्ध धर्म के बाद विदेशी भूमि में जो बचे थे, और तीसरा सहस्रबादी के माध्यम से नालंदा खुदाई के दौरान जो भी चीजें मिली उसे नालंदा के बारे में पता चलता है। यह बहुत ही प्राचीन मुझे दर्दे का एक महत्वपूर्ण विख्यात शिक्षा का केंद्र था। इस खंडहर के बारे में वही के पास 12 किलोमीटर दूर उत्तर में एक गांव के राहुल द्वारा खोजा गया था, तो लोग उनके भग्नावशेष को नजर अंदाज कर देते थे, उसके बाद अनेक पूरा अभिलेखों और सातवीं शताब्दी में दरबे कि इतिहास को पढ़ने आया था, जो चीनी यात्री ह्वेनसांग तथा इत्सिंग ने अपने यात्रा के दौरान का विवरण इस प्राचीन नालंदा खंडहर के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी देती है, यहां पर पहले 10000 छात्रों को पढ़ाने के लिए 2000 शिक्षक थे और यहीं पर हैं ह्वेनसंग ने सातवीं शताब्दी में अपना जीवन का महत्वपूर्ण भाग विश्व विद्यालय के विद्यार्थी और शिक्षक के रूप में व्यतीत किए थे।भारतीय पुरातत्व विभाग ने 19वीं शताब्दी में खुदाई की तो इसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में स्वीकार किया गया। उस समय खुदाई के दौरान 1915 में 11 मार्च 6 प्राचीन मंदिरों खुदाई के दौरान मिली, यहां पर कई प्राचीन वस्तुएं भी मिली जिसे नालंदा के संग्रहालय में रखा गया है।
3.पावापुरी जल मंदिर – Pawapuri Jal Mandir
जैन धर्म के लिए सबसे अधिक पूजनीय, बहुत ही पवित्र स्थल पावापुरी बिहार के नालंदा जिले में स्थित है। पावापुरी जल मंदिर जिसका अर्थ है एक ऐसा शहर जिसमें कोई पाप नहीं हो। नालंदा में सबसे अच्छी घूमने की जगह में से एक है। पवापुरी इसलिए महत्वपूर्ण है। क्योंकि यहां पर 500 ईसा पूर्व जैन धर्म के संस्थापक और 24 वे तीर्थंकर भगवान महावीर को यहीं पर दफनाया गया था। महावीर ने 528 ईसा पूर्व पावापुरी में अपना निर्वाण प्राप्त किया था। इस स्थल के पास में ही एक तालाब देखने को मिलेगा। जोकि अपने आप में वह एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। जिसका निर्माण महावीर के बड़े भाई राजा नंदी वर्धन ने किया था। नालंदा शहर उन पांच मंदिरों में से एक है। जहां महावीर के पद चिन्हों की पूजा की जाती हैयह मन्दिर सुबह 5:00 बजे से रात 9:00 बजे तक खुला रहता है
4. नालंदा विश्वविद्यालय – Nalanda University
लगभग 14 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला यहां प्राचीन विश्वविद्यालय स्थापत्य प्रतिभा को दर्शाता है जिसकी वास्तुकला दुनिया में सबसे अच्छी है। जिससे कि पर्यटक लोग इसके भव्यता पर आश्चर्य करते हैं। यह विश्वविद्यालय लाल रंग की ईंटों से बनी हुई है जो सुंदर बड़ा सा बगीचों से गिरी हुई है इसके बीच में एक मार्ग है जो दक्षिण से उत्तर की ओर जाता है। यहीं पर भगवान बुद्ध की आधे टूटी हुई मूर्ति छोटे से चौपाल में रखी हुई मिल जाएगी जो पर्यटक लोगों को मंत्रमुग्ध कर देती हैनालंदा यूनिवर्सिटी घूमने के लिए एक बहुत ही प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। यह विश्वविद्यालय पांचवी शताब्दी से अस्तित्व में आया था। जब दुनिया में ऐसे कुछ विश्वविद्यालय थे उनमें से एक था, ऐसा कहा जाता है कि भगवान बुद्ध ने अपने जीवन काल में इस स्थान का भ्रमण किया था तब भी यह विश्वविद्यालय अपने चरम पर था। इस विश्वविद्यालय को 2007 में पुनर्जीवित किया गया था।इस विद्यालय में जाने का एंट्री फीस ₹15 है और विदेशी लोगों के लिए ₹200 और जो लोग 15 साल से नीचे हैं वह फ्री में जा सकते हैं
5. ह्वेनसांग मेमोरियल हाल – Xuanzang Memorial Hall
नालंदा के प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों में से एक यह स्थल जिसे एक चीनी यात्री के याद में शान्ति शिवालय के रूप में बनाया गया है, सम्राट हर्षवर्धन के काल में ह्वेनसांग भारत आया था वह 630 और 644 ईसवी के बीच में लगभग 14 साल तक भारत में रहा, और नालंदा विश्वविद्यालय में बौद्ध धर्म और रहस्यवाद पर अध्ययन किया था। जिसके दौरान उन्होंने भारत के ऐसे कई क्षेत्र में यात्रा किया, और अपना बड़े पैमाने पर परचम ला रहा था जिसे देखने के लिए विदेशियों द्वारा खूब पसंद किया जाता है इसकी देखरेख भी बहुत ही अच्छी तरह से की जाती है।। इसी हाल में ह्वेनसांग के कुछ प्रसिद्ध लेखन पांडुलिपि, अवशेष और कुछ तस्वीरें है जो मध्य काल के भारत की संस्कृति को गौरवशाली अतीत के बारे में बहुत ही बहुमूल्य जानकारी देती है।
6. महान स्तूप या सारिपुत्र का स्तूप – The Great
ग्रेट स्तूप को ही सारिपुत्र और नालन्दा स्तूप के नाम से जानते है,सम्राट अशोक द्वारा तीसरी शताब्दी में नालंदा के विश्वविद्यालय के खंडहरों के बीच में मौजूद निर्मित यह स्तूप बुद्ध के अनुयाई सारिपुत्र के सम्मन में बनवाया गया था, इसकी संरचना पिरामिड के आकार की जैसी है और सीधी हो सुंदर मूर्तियों की उड़ान से घिरी हुई है महान स्तूप नालंदा के सबसे लोकप्रिय सदा चुनाव में से एक हैं और एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल मैं सबसे ज्यादा इसका महत्व दिया गया है।
7. नालन्दा संग्रहलय – Nalanda Archaeological Museum
प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का संग्रहालय एक अपने अंदर समेटे हुए संस्कृति की झलक पेश करती हैं, नालंदा पुरातत्व संग्रहालय 1917 ईस्वी में निर्माण किया गया। इस संग्रहालय में गुप्त और पाल काल के कला और वस्तु कला देखने को मिलेगी। यहां पर मुख्य रूप से नालंदा और राजगीर के खुदाई के दौरान जो भी प्राचीन वस्तुएं मिली थी उसको इस संग्रहालय में रखा गया है। इस संग्रहालय में आपको बेसाल्ट पत्थर से बनी हुई और प्लास्टर, कांस्य पत्थर और टोराकोटा से बनी हुई मूर्तियां देखने को मिलेगी।इस संग्रहालय में आपको चार गैलरी देखने को मिलेगी पहले वाले में आपको सूर्य, कुबेर, लक्ष्मी, गणेश इन सब की जुड़ी हुई चीजें देखने को मिलेगी, दूसरी गैलरी में आपको सिक्के देखने को मिलेगी, जो प्राचीन काल के रखे हुए हैं, तीसरी गैलरी में आपको बौद्ध काल के समय के प्राचीन वस्तुएं देखने को मिलेगी, और पांचवी गैलरी में आपको छठी शताब्दी से जुड़ी प्राचीन वस्तुएं देखने को मिलेगी, इस संग्रहालय एंट्री फीस ₹2 है। 15 वर्ष से कम उम्र के लिए फ्री है। यह म्यूजियम 1 एकड़ में फैला हुआ है। नरेंद्र रेलवे स्टेशन से 3 किलोमीटर और राजगीर रेलवे स्टेशन की 14 किलोमीटर की दूरी पर यह संग्रहालय स्थित है जो नालंदा विश्वविद्यालय के ठीक सामने स्थित है
8. कुंडलपुर – Kundalpur
नालंदा का कुंडलपुर जैन धर्म के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण स्थानों में से एक माना जाता है, क्योंकि यहीं पर जैन धर्म के तीर्थंकरो के 24वें और अंतिम गुरु भगवान महावीर का जन्म यही हुआ था। और यहां पर गौतम स्वामी जी का भी जन्म स्थान रहा है जो भगवान महावीर के पहले शिष्य थे।यहां पर एक बहुत ही सुंदर और भव्य मंदिर बनाया जाए जो भगवान महावीर को समर्पित है। मंदिर के अंदर आपको सारे 4 फीट लंबा भगवान महावीर की प्रतिमा देखने को मिलेगी। और इसी मंदिर के अंदर एक शांत त्रिकाल चौबीसी जैन मंदिर है, जहां जैन तीर्थंकरों की 72 मूर्तियां बनाई गई है। जिसको देखने से पता चलता है वर्तमान और भविष्य के प्रत्येक युग को 24 प्रतिनिधित्व द्वारा दर्शाया गया है। यहां पर कुंडलपुर महोत्सव भी मनाया जाता है।
9. सूर्य मन्दिर नालन्दा – Surya Temple Nalanda
नालंदा का यह सूर्य मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। जा सूर्य मंदिर भारत के पुराने 12 सूर्यधामो मंदिरों में से एक है। यह मंदिर नालंदा विश्वविद्यालय के पास में ही स्थित है। यहां पर आपको विभिन्न बौद्धों और हिंदू देवी देवताओं के मंदिर देखने को मिल जाएंगे। इसी मंदिर के भीतर देवी पार्वती की 5 फीट ऊंची मूर्ति भी है। यहां पर हर साल बिहार के लोकप्रिय छठ पूजा इस मंदिर के पास में स्थित झील में वैशाख और कार्तिक के महीने में उत्साह के साथ मनाया जाता है।
10. नव नालंदा महाविहार – Nav Nalanda Mahavihara
अगर आप इतिहास के शौकीन हैं तो नालंदा में स्थित नव नालंदा महाविहार जो 1951 में बिहार सरकार के द्वारा प्रकाशित किया गया था। देखने योग बनता ही है। यह पाली साहित्य और बौद्ध धर्म को अध्ययन और अनुसंधान के लिए समर्पित एक नया संस्थान है, यहां पर विदेशों से भी छात्राओं आकर अध्ययन करते हैं। यह स्थान आधुनिक दुनिया के लिए बहुत ही प्राचीन परंपरा को प्रदर्शित करता है। बौद्ध धर्म का यह एक आधुनिक केंद्र के रूप में निर्मित बहुत ही प्राचीन लिपि यहां पर देखने को मिलेगी। इतिहास प्रेमियों और खोजकर्ताओं के लिए यह स्थान सबसे अच्छी जगहों में से एक है। अगर आप बौद्ध धर्म और इतिहास के बारे में अध्ययन करना चाहते हैं तो यहां जरूर आएं।
11. तारा मां मन्दिर – Tara Maa Temple
नालंदा के सुकून नाथ नाम से जाने वाले स्थान पर मां तारा मंदिर हिंदू भक्तों के लिए प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक स्थल है। यह मंदिर मां दुर्गा को समर्पित है। इस मंदिर का वातावरण हरे भरे पेड़ पौधे और शांत है जोकि यहां जिससे यहां पर आने वाले पर्यटक को बहुत ही आकर्षित करता है मां तारा मंदिर यह एक ऐसा मंदिर है जहां पर हर साल नवरात में बड़ी ही संख्या में भक्तों की भीड़ लगती है।
13. शिव मन्दिर – Shiva Temple
यह नालन्दा में स्थित भगवान शिव के समर्पित धार्मिक मंदिरों में से एक हैं या जिस क्षेत्र में स्थित है उस क्षेत्र को रामचंद्रपुर के नाम से जाना जाता है जोकि पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी स्थान पर महाभारत के समय कृष्ण और बलराम जी आए थे। यह मंदिर हिंदू शिष्य के लिए एक धार्मिक महत्व प्रदान करता है। यह एक बहुत ही बड़ा शिव मंदिर है। वर्तमान में यहां बहुत ज्यादा चौरा नहीं है क्योंकि बहुत ज्यादा फैली नहीं है।
12. मियां तालाब – Mian Talab
मियां तालाब नालंदा के सिंघटू नामक क्षेत्र में स्थान पर है जो चार मोहल्लों से घिरा हुआ है। 4 मोहल्ला यानी छज्जू, शेखाना खुर्द, शेखाना कलां और इमादपुर से संबंध रखता है। यह तलाब ताजा पानी के लिए पर्यटकों को बहुत ही आकर्षित करता है। यहां के वातावरण इतना खूबसूरत है कि यहां का स्थानीय लोग भी तालाब के चारों और खूबसूरत पेड़ो और बगीचों में घूमते हुए पाए जाते हैं। यह तालाब बहुत ही मनमोहक तलाब है।
14. कारगिल पार्क – Kargil Park
नालंदा के कारगिल पार्क भारत के स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित एक ऐतिहासिक महत्व प्रदान करने वाला एक पार्क है। यह एक विचित्र और शांतिपूर्ण पार्क है। इस पार्क में विभिन्न प्रकार के पैड़ और दीपक देखने को मिल जाएंगे नालंदा बिहार का एक छोटा सा हिस्सा है। कारगिल पार्क के अन्दर वाटर पार्क भी है। यहां पार्क किसान बाग के पास मे स्थित है।
15. नेपुरा गांव – Nepura Village
नेपुरा गांव पावापुरी से लगभग 2 किलोमीटर दूरी पर स्थित है बिहार शरीफ से इसकी दूरी 10 किलोमीटर है। यह गांव राजगीर और नालंदा के लोकप्रिय बौद्ध स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। जो इस गांव के बाहरी इलाके में स्थित है। इस गांव में आप अक्टूबर से फरवरी के महीने में आते हैं, तो बहुत ही मनमोहक दृश्य देखने को मिलेगा।यह गांव टसर सिल्क के बुनाई के लिए इतिहास में जाना जाता है ।और यहीं पर भगवान बुद्ध ने अपने शिष्य को महत्वपूर्ण उपदेश दिए थे।3 वर्ग किलोमीटर में पूरा गांव बिहार के क्षेत्रफल के हिसाब से 16 वा सबसे बड़ा गांव है। जिस गांव में करीब 300 परिवार रहते हैं। अधिकांश उनमें से तांती जाति के हैं। यह गांव नालंदा में नहीं बल्कि बिहार के अन्य हिस्सों में हाथ करघा कार्यों के लिए बहुत प्रसिद्ध है।
16. काले बुद्ध की मूर्ति – Statue of Black Budhha
प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय खंडहर के पास में ही स्थित काले बुद्ध की प्रतिमा वाली आधुनिक मन्दिर स्थित है।इस मंदिर स्थानीय लोग तेलिया भैरव नाम से भी जानते है। लोगों का मानना है कि बीमारी से मुक्त होने की आशा में यहां पर मूर्ति पर तेल लगाते हैं। ऐसे ही यहां का मानना है कि यह तेल बालों पर लगाते हैं, तो आपके बाल काली हो जाती हैं, यह एक प्राचीन बड़ी सी बुद्ध की प्रतिमा है। यह मूर्ति लगभग 9 फुट की है। इस मंदिर में आप कुछ पुरानी मूर्तियां देखने को मिलेंगी, को मंदिर को और भी सुशोभित करती है। यह एक छोटा सा मंदिर है, इस मंदिर को दर्शन के लिए थाईलैंड से बहुत ही भारी संख्या में बौद्ध आते हैं, यह मंदिर ASI के नियंत्रण में नहीं है, यहां पर दर्शन करने के लिए टिकट की जरूरत नहीं पड़ती है। यह प्रतिमा का ऐतिहासिक महत्व है। क्योंकि ये प्रतिमा नालंदा के खुदाई के दौरान मिली थी। अगर आप नालन्दा आते है तो यहाँ जरूर आइए।
17. राजगीर वन्यजीव अभ्यारण्य – Rajgir Wildlife Sanctuary
प्रकृति को देखने और आनंद लेने के लिए राजगीर एक अच्छी जगह है। राजगीर वन्य जीव अभ्यारण नालंदा जिले में स्थित है। यह जंगल राजगीर के पांच पहाड़ियों के बीच में बसा घना जंगल के लिए प्रमुख है ।इस अभियारण में आपको जंगली सूअर, लाल जंगली मुर्गी, सुनहरा सियार,भारतीय अजगर, तेंदुआ, लकड़बग्घा, बारकिंड हिरण इत्यादि जानवर देखने को मिलेंगे। राजगीर वन्य जीव अभ्यारण पटना से लगभग 102 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। यह अभ्यारण लगभग 35 किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां पर घुमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर और जून है।
19. सूरजपुर बड़ा गांव – Surajpur bara Goan
बिहार के नालंदा जिला के उत्तर में सूरजपुर बड़ा गांव स्थित है इसी गांव में स्थित झील है और यही पर भगवान सूर्य को समर्पित एक सूर्य मंदिर है। यहां पर आपको बहुत ही प्राचीन मूर्तियां देखने को मिल जाएगी।
नालंदा के मशहूर स्ट्रीट फूड – Street Food of Nalanda in Hindi
नालंदा के मशहूर स्टेट फूड की बात करें तो यहां पर भी ज्यादातर लोग आपको शाकाहारी मिलेंगे जो सादा खाना पसंद करते हैं जैसा कि राजगीर में लोग जो पसंद करते थे उसी टाइप के यहां भी आपको जापानी भोजन, चीनी व्यंजन इत्यादि मिलेंगे।
नालंदा किस चीज के लिए मशहूर है – What Is Nalanda Famous For
अगर बात करें नालंदा किस चीज के लिए प्रसिद्ध है तो यहां बौद्ध धर्म से जुड़े ऐतिहासिक स्थानों के लिए प्रसिद्ध है। क्योंकि नालंदा में ही महावीर से जुड़ा हुआ बहुत से भाग है। और नालंदा राजगीर के लिए प्रसिद्ध है। सबसे ज्यादा नालंदा विश्वविद्यालय के लिए प्रसिद्ध है।नालंदा बिहार शरीफ के नाम से जाना जाता है। यहीं पर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है।
कैसे पहुंचे – How to Reach
By Air – नालंदा के लिए सबसे नजदीकी एयरपोर्ट पटना हैजिसकी दूरी 89 किलोमीटर है आप पटना एयरपोर्ट पर आकर वहां से ट्रेन या बाई रोड नालंदा पहुंच सकते हैं
By Train – अगर आपके यहां पर ट्रेन से आना चाहते हैं तो भारत के कई शहरों से नालंदा के सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन राजगीर है जो 12 किलोमीटर दूर है आप यहां पर आ कर बाई रोड स्थान पर पहुंच सकते हैं।
By Road – नालंदा के लिए बहुत से शहरों से बसे चलती है जिसे आप पकड़ कर नालंदा पहुंच सकते हैं। जैसे कि राजगीर से बोध गया से पटना से पावापुरी से यहां के लिए बसें मिलती है।
यात्रियों के लिए टिप्स –
नालंदा अगर आप आना चाहते हैं तो आपको कुछ टिप्स देते हैं जिसे फॉलो करके आपने गंतव्य स्थल तक पहुंच सकते हैं, यहां पर आने से पहले एडवांस में होटल बुक ना करे जब रुकने की इच्छा हो तब ही होटल बुक करें।
नोट – अगर आप नालंदा घूमने आए है, या नालंदा के रहने वाले है। या नालंदा घूमना चाहते है। आपको यहां पर सबसे अच्छी कौन सी चीज लगी। आप कमेंट बॉक्स के जरूर बताइए।