प्रिय पाठको नमस्कार आपको एक बार फिर से अपने Royal Yatra के नए आर्टिकल में स्वागत करता हूं। जैसा कि पिछले पोस्ट में मैंने नालंदा डिस्ट्रिक्ट के बारे में बताया था। नालंदा डिस्ट्रिक्ट में कौन-कौन से स्थान घूमने के हैं। आज मैं बिहार के अररिया जिले के बारे में बातें करूंगा और आपको बताऊंगा कि अररिया में कौन-कौन से ऐसे मशहूर जगह है। अगर आप अररिया घूमना चाहते हैं। तो इस आर्टिकल को पूरा अंत तक पढ़े।
अररिया जिले का इतिहास एवं परिचय – Araria District Basic Information in Hindi
अररिया बिहार का 39 जिले में से एक है। अररिया जिला बिहार के पूर्णिया और मधेपुरा के उत्तरी भाग में स्थित कंचनजंगा पर्वत के महान चोटियों में से एक मनमोहक दृश्य हैं। इस जिले पर प्राचीन काल में किरातो नामक जनजाति का शासन हुआ करती थी, उसके बाद मौर्यकाल के दौरान मौर्य साम्राज्य शासन की थी जो कि अशोक कुंदन के अनुसार सम्राट अशोक ने कई नग्नो को मौत के घाट यही पर उतार दिया था।
अररिया जिला पहले पूर्णिया जिले में हुआ करता था। 1964 में इसे पूर्णिया जिले से हटाकर अररिया जिला उपमंडल बनाया गया। जिसका गठन 14 जनवरी 1990 में पूर्णिया डिविजन के तहत बिहार के प्रशासनिक जिलों के रूप में किया गया था। इस जिला की सीमाएं 3 देशों से सटी हुई है नेपाल, बांग्लादेश और भूटान।
अररिया जिला का क्षेत्रफल 2830 वर्ग किलोमीटर है। इस जिले में नरपतगंज, रानीगंज, फोबर्सगंज, अररिया सिकटी, और जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र है। इस जिले में कोसी, काली, परमार और सुवारा नामक नदियां बहती है। अररिया के कुछनदियोंमें डॉल्फिन पाई जाती है। जिसकी लम्बाई औषतन 2.5 मीटर है। यहां के लोग मुख्य रूप से किसानी करते हैं।
अररिया जिला में सुल्तान फोखरे हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लिए महत्वपूर्ण ये जगह है।
बिहार में सबसे ज्यादा वर्षा वाला अगर जिला है तो अररिया जिला ही है। अररिया में घूमने की दृष्टि से देखा जाए तो यहां पर आपको सबसे ज्यादा मंदिर देखने को मिल जाएगी।
अररिया के पर्यटक स्थल – Tourist Place in Araria in Hindi
अररिया जिले में कौन कौन से घूमने के स्थान है। अररिया जिला में मुख्य रूप से तीन ही जगह घूमने लायक है, चलिए इस आर्टिकल में बताते है।
- रानी गंज वृक्ष वाटिका
- बायोसिटी पार्क
- सुंदरी नाथ, सुन्दरी मठ
- मदनपुर , शिव मन्दिर
- दोस्ती मेला
- दुर्गा पूजा, आश्रम मोहल्ला
- ठाकुरवाड़ी
- मनिकापुर
- कोसी डैम
- काली मंदिर
- बसैठी मठ
- मानिकपुर रेप्लिका स्तूप
- जामा मस्जिद
- क्यूबा मस्जिद
रानीगंज वृक्ष वाटिका – Raniganj Vriksh Vatika
बिहार के अररिया जिले में स्थित रानीगंज वृक्ष वाटिका बहुत सुंदर और मनमोहक है। यह हसनपुर बालू धिमा नामक गांव में स्थित है। यह 289 एकड़ में बनाया गया एक सुंदर वातावरण वन वाटिका है। यह वाटिका वर्तमान में पर्यटक दृष्टि के हिसाब से सुंदर मनोरम और आकर्षक दर्शनीय स्थल बना दिया गया है। जो प्राकृतिक और स्वास्थ्य प्रेमियों के लिए एक आदर्श स्थान रखता है। इस वाटिका में आपको सुंदर-सुंदर पेड़ पौधे देखने को मिलेंगे जो कि बहुत ही पहले से लगाया हुआ है। बाद में इसको मॉडिफाई करके अंदर सीटें और रोड बनाया गया है। इस वाटिका के अंदर एक बहुत बड़ा तालाब और हॉग डियर, अजगर, प्रवासी पक्षी और बहुत से जानवर को देखने को मिलेंगे।इस घर में चिड़िया घर बनाने की विधि योजना बनाई जा रही है
बायोसिटी पार्क – Bio City park
बिहार का पहला बायो सिटी पार्क अररिया जिले का एक नई पहचान दिलाता है, रानीगंज वाटिका वृक्ष से इसकी दूरी लगभग 20 किलोमीटर है। पिकनिक के लिए बिहार के अररिया जिले में स्थित बायो सिटी पार्क पर्यटक लोगों के लिए बहुत ही पसंदीदा जगह बन गया है। यह पार्क अररिया जिले के कुसियार गांव में स्थित है। यह पाक मनोरंजन के दृष्टि से सर्वोत्तम स्थलों में से एक है इस पार्क को इको पार्क, वाटर पार्क, रिसोर्ट, मनोरंजन पार्क, पिकनिक स्पॉट, एडवेंचर पार्क, के रूप में भी जाना जाता है। यह पार्क वर्तमान में साफ़ रहती है। यहां लोगों को आने जाने का समय लगा रहता है। यहां पर समय बिताने के लिए लोगों की कोई परेशानी नहीं होती है। इस पार्क में बच्चे के लिए भी एक सुरक्षित जगह है।
4 किलोमीटर लंबा टाइल से बना चिल्ड्रन प्ले जो हरे-भरे घास से भरा पड़ा बच्चों के लिए बहुत ही मनमोहक जगह है।
कुसीयार गांव का यह बायो सिटी पार्क NH – 57 के पश्चिम में लगभग 40 एकड़ में फैला हुआ है। अररिया जिले के बायोसिटी पार्क में जाने का एंट्री फीस ₹30 रखा गया है। टिकट आपको मेन गेट के सामने टिकट काउंटर से मिल जाएगा। यहां पाक बहुत ही बड़ा है यहां पर आपको अनेक प्रकार के पौधे देखने को मिल जाएंगे ।
सुन्दरी नाथ या सुंदरी मठ – Sundar Nath
अररिया जिला में स्थित सुंदरनाथ कहो या सुंदरी मठ यह भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर है। रानीगंज ब्रिज वाटिका से इसकी दूरी लगभग 37 किलोमीटर के आसपास है स्थानीय लोगों का मानना है कि पांडवों ने वनवास के समय अपने जीवन और सुरक्षा के लिए भगवान शिव (सुन्दर नाथ) कि यही पूजा की थी। यह मठ नेपाल की सीमा से सटा कुर्साकांता गांव में स्थित सुंदरी मठ (सुंदरपुर घाम) में स्थित है। हर पूर्णिमा पर यहां पर दक्षिणी नेपाल और उत्तर बिहार के हिंदू लोग भगवान शिव की पूजा करने के लिए आते हैं।
यहां हर साल मकर संक्रांति के पहले रविवार से अगले महीने के पांचवे रविवार तक मेला चलता है। और यहां पर महाशिवरात्रि पर भी मेला 15 से 20 दिन तक लगता है। इस मंदिर को भव्य और आकर्षक बनाने के लिए कार्य किया जा रहा है।
मदनपुर शिव मंदिर – Madanpur Shiv Temple
बिहार के अररिया जिले के मदनपुर गांव में शिव मंदिर की महिमा बहुत सर्वश्रेष्ठ है। इस मंदिर की खोज एक सपने के माध्यम से हुई थी। इसे मदनेश्वर धाम के नाम से भी जानते है।, अररिया जिले का ऐतिहासिक धरोहर तथा यहां लाखों की संख्या में नेपाल और भारत के श्रद्धालु लोग एक आस्था का केंद्र है।
इस मंदिर का निर्माण पूर्णिया जिले के फौजदार नवाब सैफ खान के दीवान राजा नंदलाल ने 1740 ईस्वी के आस पास बनवाया था। इस मंदिर के अंदर आपको प्राचीन काल के बहुत सी मूर्तियां रखी हुई है। जिन्हें लोग गुप्त काल के मानते हैं। यह सारे मूर्तियां मंदिर के पास में शिव गंगा की सफाई के दौरान मिली थी।
ओरल ट्रेडीशन के मुताबिक इस मंदिर में रखे शिवलिंग की स्थापना पांडवों की माता मां कुंती ने अपने अज्ञातवास के दौरान स्थापित किया था।
इस शिवलिंग की खोज 19वीं शताब्दी में खेत जोतने के दौरान हुई थी।
दोस्ती मेला – Dosti Mela
पौष पूर्णिमा पर लगने वाला अररिया में दोस्ती मेला एक देखने ही लायक होता है अगर आप अनाड़ी आते हैं तो पौष पूर्णिमा के दिन ही आए। यह मेला फरयानी नदी के किनारे लगती है। यह पूरे बिहार भर में प्रसिद्ध एक दिवसीय मेला है। इस मेले का नाम दोस्ती नाम इसलिए पड़ा क्योंकि यहीं पर पूर्णिमा के समय पुराने जमाने में लोग कोसी नदी में डुबकी लगाकर एक दूसरे से दोस्ती निभाने की कसमें खाते थे। यह मेला जिन परिवारों को अपने बच्चे की शादी करनी होती है अपनी बिरादरी में लड़के और लड़की तलाशते हैं यदि उन परिवारों के लड़के लड़की पसंद आई तो वह ब्याह की तारीख तय कर दी जाती है, शादी विवाह के लिए दूरदराज से लोगों को यहां आना होता है,फिर मेले की समाप्ति के बाद लौट जाते हैं, दो परिवारों को निभाने वाली दोस्ती मिला बहुत ही प्रसिद्ध है। इस मेले को दोस्तीदारी के नाम से भी जाना जाता है। इस मेले में आपको लकड़ी से बने सामान खिड़की, दरवाजा, पलंग, चौकी ऐसे बहुत से सामान देखने को मिल जाएंगे।
ठाकुरवाड़ी मंदिर – Thakurwadi Temple
अररिया जिले का धरोहर ठाकुरबारी मंदिर भी एक देखने लायक मंदिर है।
काली मंदिर – Kali Temple
एशिया का सबसे ऊंची प्राचीन मां खड़गेश्वरी काली मंदिर बिहार के अररिया जिले में स्थित है। इस मंदिर का गुंबज की ऊंचाई लगभग 150 फीट है। अररिया रेलवे स्टेशन से पूरब दिशा में 3 किमी पर स्थित है।
इस मंदिर का निर्माण 1884 ईस्वी में किया गया उसी समय से यहां पर लगभग 250 सालो से पूजा पाठ होता आ रहा है। यहां पर जेल की कैदियों के हाथो से गुथी हुई माला से माता काली की पूजा की जाती है। यहां हर साल कार्तिक मास की अमावस्या की तिथि पर परंपरागत तरीके से भव्य पूजा किया जाता है। जहां दूर-दूर से लोग यहां पर आते हैं और पूजा करते हैं। ये अररिया के प्राचीन मंदिरों में से एक है। अररिया में घूमने की कौन-कौन सी जगह है
अररिया किस चीज के लिए सबसे जायदा प्रसिद्ध है –
अररिया जिला सबसे ज्यादा बायोसिटी पार्क और रानीगंज वाटिका के लिए प्रसिद्ध हैं। क्योंकि पर्यटक के दृष्टि से सबसे ज्यादा अररिया जिला में घूमने वाला स्थान यही दो हैं।
स्ट्रीड फूड – Streed Food
अररिया के स्ट्रीट फूड की बात करें तो यहां पर आपको मक्का, इटली और दाल चावल रोटी यहां का प्रमुख भोजन है l, वैसे यहां पर आपको फास्ट फूड भी मिल जाएंगे।
कैसे पहुंचे – How to Reach
By Air – अररिया जिले के सबसे नजदीक हवाई अड्डा बागडोगरा है।
By Train – कटिहार रेलवे स्टेशन से अररिया रेलवे स्टेशन आ सकते हैं। और यहां से आप अररिया जिला घूम सकते हैं
By Road – अगर बाई रोड से आप जाना चाहते हैं तो यह राष्ट्रीय मार्ग जनता वन से जुड़ा हुआ है यहां पर आसपास के जिलों और ब्लॉकों से बॉस की सेवाएं उपलब्ध है
नोट – अगर आप अररिया जिले से हैं या अररिया जिले के पास में रहते हैं या अररिया जिले में घूमना चाहते हैं। या अररिया जिला घूम चुके है, तो आपको इस जिले की सबसे मशहूर चीज कौन सी है और कौन सी चीज आपको अच्छी लगी आप हमें नीचे कमेंट करके जरूर बताएं।